Monday, February 16, 2009

बहुत दिन बाद आज घर लौटा ...

बहुत दिन बाद आज घर लौटा ...
आँगन का अमुवा ताना मारता है ,
मुंडेर पर कौवा भी कुछ बोलता है
छज्जे पर गिलहरी अब भी दाना पूछे
चौखट का आल्या घड़ी-घड़ी खीझे
तुलसी का दीपक तेल मांगता है
कमरा खूँटी पर इंतज़ार टाँकता है
तिपाई का पैर कुछ चरमराये
हर एक कोना बीते दिन सुनाये
कहाँ चले गए थे तुम आंखों के नूर
कैसे रहे हमसे इतनी दिन दूर |

Thursday, February 12, 2009

टूटते दरख्तो के बीच

एक सफ़र किया टूटते दरख्तो के बीच,
कराहों से सजे मंज़र, पीले पत्ते,मुरझाए फूल
बौराई टहनियों से टपकते आँसू, नीचे दरकती ज़मीन,
अंदर उमड़ते तूफान, उपर से मौन पड़े हैं, गमगीन


दुख से चुप ना थे, अवाक खड़े थे मुह खोल,
ये क्या हुआ ? – प्रश्नचिन्ह लगा रहे नज़रों से
भयंकर दावानल था या कोई भीषण बवंडर
हरियाली खाक हो गयी, खोखले हुए सब अंदर


ओठ खुलते हैं तो सिर्फ़ आह निकलती है,
बंद करने पर सिसकी क्यों सुनाई देती है,
दिलों पर भस्म जमी है, क्या साधु हैं ये,
कोटरों में जीव नहीं है, हवा भी दम साधे है

हड्डियों की चटकं में उम्र का ज़ोर भी है,
वक़्त से पहले पौधों को सख़्त बनाने का शोर भी है
पहचान लुप्त हो गयी खुद की, एक दूसरे की,
खोखली निगाह डालते हैं, खोए को तलाशें भी

दिल जो बेजान हुए, मुह से आवाज़ लापता है,
सूखे फूलों से ढका गुज़रता एक काला रास्ता है,
खुद को जलाकर जो रोशन करते हैं अंधेरा, अजीब,
एक सफ़र किया ऐसे टूटते दरख्तो के बीच

Wednesday, February 11, 2009

मुमुक्षा

कण मात्र प्रज्ज्वलित होता तुमसे, जलता निशीथ-दीप समान

अंगारा होकर प्रदीप्त तुमसे, लेता अग्नीपुंज का स्थान

स्वयं को आहूत कर यज्ञ में, जीवन बनता यज्ञ महान

उसके उर में विनाश नहीं, प्रारंभ होता वहाँ निर्माण

वह क्षण भन्गुर चिंगारी, तुम हो अजस्र प्रकाशमान

चाहे भस्मसात हो जाए, जलना है उसे अविराम

बने राख, हवा चली आए, उड़े भस्म, पहुँचे श्री धाम

Tuesday, February 10, 2009

गिरा चुपके से मौन एक आँसू….

गिरा चुपके से मौन एक आँसू….
..आँसू यह कि पीछे अश्रु धार नहीं
विह्वल दूत है यह, दिल का गुबार नहीं
एक बूँद विस्मय है या दुख का सागर पूरा,
अकेलेपन का साथी है या कोई स्वप्न अधूरा
कोई पराजय है या किसी वस्तु का खोना,
या किसी ने छू दिया है मर्मस्पर्शी कोना
या कोई प्रसन्नता है जो दिल मे ना समाई,
आज अकारण ही क्यों आँखें भर आईं
इन प्रश्नों का उत्तर तो मन भी ना दे पाए,
जहाँ से उद्वेलित हो अश्रु आँखों तक आए

Friday, February 6, 2009

एक कोशिश

समेट रहे हैं बिखरे टुकड़ों को

कहीं कतरा छूट न जाए,

मूरत बनने से पहले ही

कहीं फिर टूट न जाए

नींद से न जगाना मुझे

ख्वाब पूरा नहीं हुआ,

एक पहर बाकी है

अभी सवेरा नहीं हुआ

भोर होने से पहले बस

एक कोशिश करनी है,

वो जिंदगी जो रूठी है

मुझे आज अपनी करनी है

Tuesday, February 3, 2009

ख़ालीपन

बीते लम्हों की कसक दे जाती है ,
वो एक झलकपुराने पन्ने पलटाती है
समय के साथ-साथ ,
समय मे हम कहाँ खड़े हैं?
देखें एक दूजे को,
खुद मे क्या देखना चाहते हैं?
एक ख़ालीपन है दरमियाँ ,
हम मे क्या महसूस होता है?
कुछ अनमोल है बंद मुट्ठी में,
रोज़ पाता , रोज़ खोता है

Monday, February 2, 2009

Be at my side...

Let me not speak and I'll create volumes,
Let me not write and I'll paint the world
Let me not wield the brush and...
I'll explode engulfing the entire race.

Me, the woman, bears seed of mankind.
Me, the woman, fairer colour of society.
Me, the woman, subject of epics.
Me, the woman, your first word...

Do let me tell you the untold stories,
Do let me write the songs of inspiration,
Do let me paint rainbow in the face of torment,
Do let me express my love for You, My Man...

I'll not compare me to thine,
My role suits me fine.
Kindly open the window,
Let the new winds blow...

I'll make motherhood my pride,
And, You, be at my side...
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